राजस्थान सरकार का काला कानून
राजस्थान सरकार ने अध्यादेश जारी किया है कि किसी भी जज, मजिस्ट्रेट या लोकसेवक के खिलाफ सरकार से मंजूरी लिए बिना किसी तरह की जांच नहीं की जाएगी. अध्यादेश के मुताबिक, कोई भी लोकसेवक अपनी ड्यूटी के दौरान लिए गए निर्णय पर जांच के दायरे में नहीं आ सकता है, सिवाय कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर 197 के. इतना ही नहीं, किसी भी लोकसेवक के खिलाफ कोई भी एफआईआर दर्ज नहीं करा सकता है. पुलिस भी एफआईआर नहीं दर्ज कर सकती है. किसी भी लोकसेवक के खिलाफ कोई कोर्ट नहीं जा सकता है और न हीं जज किसी लेकसेवक के खिलाफ कोई आदेश दे सकता है।
राजस्थान सरकार ने रोशनी के इस पर्व पर ऐसा काला कानून बना दिया है जिससे खाने वालों के नाम ही उजागर नहीं कर सकेंगे। सरकार ने अध्यादेश जारी कर कहा है कि अब अगर कोई कार्मिक घूस लेते गिरफ्तार हो गया तो बिना अभियोजन स्वीकृति के उसका नाम सार्वजनिक नहीं हो सकेगा।
इस पर राजस्थान सरकार का पक्ष यह है कि कार्मिकों को कई बार झूठे केसों में फंसा दिया जाता है और उनकी छवि खराब होती है चाहे वह बेदाग ही क्यों ना हो और एक बार कार्मिक पर बेवजह FIR दर्ज होने पर वह कभी भी अच्छी सेवा नहीं दे पाता है इस कानून से उन कार्मिकों को मुक्ति मिलेगी जो ईमानदार है क्योंकि उनमें FIR दर्ज होने का डर नहीं रहेगा
एक तरफ का मोदी कहते हैं कि न खाऊंगा , न खाने दूंगा वहीं दूसरी तरफ राजस्थान सरकार का चेहरा बेनकाब हो ही गया । राजस्थान बीजेपी कहती है कि खुद खाऊंगी और खाने भी दूंगी।
और तो और यह भी कह दिया गया कि मीडिया नाम सार्वजनिक नहीं करेगा अन्यथा उसे सजा भुगतनी पड़ेगी
इससे क्या यह नहीं लगता कि राजस्थान सरकार तानाशाही की ओर बढ़ रही है जैसा कि उत्तर कोरिया में है क्योंकि राजस्थान सरकार जो कहेगी वही मीडिया को मानने के लिए बाध्य होना पड़ेगा
किसानों का दंभ भरने वाली सरकार ने इस मामले में तो आम आदमी से बिल्कुल ही किनारा कर लिया क्योंकि उसे अपने कार्मिकों की तो चिंता है उन पर FIR दर्ज होने से उनकी छवि बिगड़ती है लेकिन महारानी जी यदि किसी गैर कार्मिक पर झूठा मुकदमा किया जाए तो क्या उसकी छवि नहीं बिगड़ती है या फिर आपकी नजर में उसकी कोई इज्जत ही नहीं है या यूं कहा जाए कि आपकी नजर में तो आम आदमी की छवि होती ही नहीं
इस कानून से साफ होता है कि राजस्थान सरकार किस ओर बढ़ रही है और क्या चाहती है
भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने का दावा करने वाली सरकार ने क्या यह कानून भ्रष्टाचार को कम करने के लिए बनाया है
सरकार को इन घूसखोर अपराधियों को बचाने से क्या मिलेगा यह तो आपको पता ही होगा वरन पता चल जाएगा
राजस्थान सरकार ने रोशनी के इस पर्व पर ऐसा काला कानून बना दिया है जिससे खाने वालों के नाम ही उजागर नहीं कर सकेंगे। सरकार ने अध्यादेश जारी कर कहा है कि अब अगर कोई कार्मिक घूस लेते गिरफ्तार हो गया तो बिना अभियोजन स्वीकृति के उसका नाम सार्वजनिक नहीं हो सकेगा।
इस पर राजस्थान सरकार का पक्ष यह है कि कार्मिकों को कई बार झूठे केसों में फंसा दिया जाता है और उनकी छवि खराब होती है चाहे वह बेदाग ही क्यों ना हो और एक बार कार्मिक पर बेवजह FIR दर्ज होने पर वह कभी भी अच्छी सेवा नहीं दे पाता है इस कानून से उन कार्मिकों को मुक्ति मिलेगी जो ईमानदार है क्योंकि उनमें FIR दर्ज होने का डर नहीं रहेगा
एक तरफ का मोदी कहते हैं कि न खाऊंगा , न खाने दूंगा वहीं दूसरी तरफ राजस्थान सरकार का चेहरा बेनकाब हो ही गया । राजस्थान बीजेपी कहती है कि खुद खाऊंगी और खाने भी दूंगी।
और तो और यह भी कह दिया गया कि मीडिया नाम सार्वजनिक नहीं करेगा अन्यथा उसे सजा भुगतनी पड़ेगी
इससे क्या यह नहीं लगता कि राजस्थान सरकार तानाशाही की ओर बढ़ रही है जैसा कि उत्तर कोरिया में है क्योंकि राजस्थान सरकार जो कहेगी वही मीडिया को मानने के लिए बाध्य होना पड़ेगा
किसानों का दंभ भरने वाली सरकार ने इस मामले में तो आम आदमी से बिल्कुल ही किनारा कर लिया क्योंकि उसे अपने कार्मिकों की तो चिंता है उन पर FIR दर्ज होने से उनकी छवि बिगड़ती है लेकिन महारानी जी यदि किसी गैर कार्मिक पर झूठा मुकदमा किया जाए तो क्या उसकी छवि नहीं बिगड़ती है या फिर आपकी नजर में उसकी कोई इज्जत ही नहीं है या यूं कहा जाए कि आपकी नजर में तो आम आदमी की छवि होती ही नहीं
इस कानून से साफ होता है कि राजस्थान सरकार किस ओर बढ़ रही है और क्या चाहती है
भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने का दावा करने वाली सरकार ने क्या यह कानून भ्रष्टाचार को कम करने के लिए बनाया है
सरकार को इन घूसखोर अपराधियों को बचाने से क्या मिलेगा यह तो आपको पता ही होगा वरन पता चल जाएगा
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