राजस्थान सरकार का जश्न


राजस्थान सरकार अपने 4 वर्ष के कार्यकाल का खूब जश्न मना रही है, लेकिन मैं जानना चाहता हूं कि यह किस खुशी में मनाया जा रहा है। मेरी नजर में तो सरकार की एक भी ऐसी उपलब्धि नहीं है जिसका बखान किया जाए। हां, इस पर खुशी मनाई जा सकती है कि हमें सरकार ने असली मुद्दे छूने तक नहीं दिए और ना ही राज्य की जनता को अपने चुनाव के समय किए गए वादे याद करने दिया गया। लेकिन एक बात सब जानते हैं कि शांति प्रिय समाज जब अपने हकों के लिए जागता है तो भूचाल ला देता है।
राजस्थान सरकार की यह बहुत बड़ी उपलब्धि है कि उसने अभी तक हमें जागने नहीं दिया और जब कोई जागा भी तो उसे छोटा सा लॉलीपॉप देकर सुला दिया गया। सीकर आंदोलन इसका एक उदाहरण है। इस आंदोलन से सरकार अपना बहुत बड़ा हित साधने जा रही है ।वह कैसे, इसके बारे में मैं अपनी राय बाद में रखूंगा।
मुझे तो यह समझ नहीं आ रहा कि सरकार अपने किस कार्य के बल पर अपनी पीठ थपथपा रही है। न तो राजस्थान में बेरोजगार कम हुए  और ना ही रोजगार के कोई अवसर पैदा किए गए। जो भी सरकारी भर्ती हुई उनमें से एक भी ऐसी नहीं है जो पूरी तरह से , बिना किसी भी बाधा के पूरी हो पाई हो ।
नरेगा में न तो पूरी मजदूरी मिल पा रही है और जो मिल रही है वह भी समय पर नहीं मिल पा रही है। सैंकड़ों युवा ऐसे हैं जो बेरोजगार हो गए या उन्हें किसी न किसी बहाने से बेरोजगार कर दिया गया ।
 गरीब और गरीब हो रहा है अमीर और ज्यादा अमीर । यही सरकार की पॉलिसी है। मुझे शत-प्रतिशत विश्वास है कि मौजूदा सरकार यदि पुनः सत्ता में आना चाहेगी तो वह अपने विकास कार्यों के बल पर नहीं अपितु धर्म की ओछी राजनीति करके आना चाहेंगी क्योंकि विकास नाम की तो कोई चीज है ही नहीं। यह भी मुझे पूरा विश्वास है कि राजस्थान जैसे सभ्य प्रदेश में यह फार्मूला कामयाब नहीं होगा। क्योंकि  “सबका साथ, सबका विकास” का नारा देने वाली bjp  का यह नारा खोखला साबित हो रहा है।
आप माने, चाहे न माने, पर यह बात सौ फीसदी सच है कि इन चार वर्षों में आम आदमी को कागजों में ही उलझा रखा है। यदि कोई उपलब्धि है तो जरा मुझे भी बताएं ताकि पता तो चले……. .

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