राजस्थान की राजनीति पर मेरा मत
दोस्तों ! आजकल अधिकांश किसान अपनी स्थिति बेहतर करने के लिए तीसरे मोर्चे के गठन की बात कर रहे हैं ।उनकी कुछ अर्थों में यह मांग सही भी है और इनकी वकालत करने वाले भी सही है । लेकिन जो बुद्धिजीवी किसान हैं या यूं कहें जिनको राजस्थान की राजनीति की समझ है। मेरे विचार से उन्हें यह सोचना चाहिए कि क्या यह कदम 2018 के चुनावों के लिए सही है । हां, यह सही है कि राजस्थान का किसा न एकजुट होने लगा है और वह प्रचलित दोनों दलों को छोड़ना चाहता है। लेकिन यह भी समझना होगा कि क्या 80 प्रतिशत खेती पर निर्भर जनता तीसरे मोर्चे का गठन करना चाहती है या फिर केवल वही किसान जो राजनीति व सोशल मीडिया की समझ रखते हैं। हमारे राजस्थान में अभी तक मुस्लिम मतदाता व दलित वर्ग (40 वर्ष से अधिक आयु के मतदाता) कांग्रेस को ही वोट देते आए हैं और मेरा मानना है कि वे 2018 के चुनावों में भी ऐसा ही करेंगे क्योंकि जिस तरह से देश में हिंदुत्व का मुद्दा उछाला जा रहा है मेंरा मानना है कि यदि इस समय विशाल भू-भाग वाले राजस्थान मेंकिसी तीसरे मोर्चे का गठन होता है तो इसका अर्थ होगा वर्तमान सरकार को सत्ता उपहार में देना ।क्योंकि यह तो त
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