तुम्हारा नूर ही है जो पड़ रहा चेहरे;.......सकून ढूढनें चले थे, नींद ही गवा.....राह के पत्थर..फ़र्ज़ अदा करते..... .ना वो मिलती है, ना मैं रुकता....खींच लेती है उसकी मोहब्बत...उसने देखा ही नहीं अपनी हथेली को कभी..

1.तुम्हारा नूर ही है जो पड़ रहा चेहरे पर;
वर्ना कौन देखता मुझे इस अंधेरे में!

2.अजब मुकाम पे ठहरा हुआ है काफिला जिंदगी का;
सकून ढूढनें चले थे, नींद ही गवा बैठे!

3.ठोकरें खाकर भी ना संभले तो मुसाफिर का नसीब;
राह के पत्थर तो अपना फ़र्ज़ अदा करते हैं!

4.ना वो मिलती है, ना मैं रुकता हूँ;
पता नहीं रास्ता गलत है, या मंजिल!

5.ख्वाहिशों का काफिला भी अजीब होता है;
अक्सर वही से गुजरता है, जहाँ पर रास्ते नहीं होते!

6.बैठ कर किनारे पे मेरा दीदार ना कर;
मुझको समझना है तो समन्दर में उतर के देख!

7.तेरी यादें भी तेरे जैसी हैं;
इनको आता है बस रुला देना!

8.कितना मुश्किल है ज़िन्दगी का ये सफ़र;
खुदा ने मरना हराम किया, लोगों ने जीना!

9.शायद कोई तराश कर, किस्मत संवार दे;
यह सोच कर हम, उम्र भर पत्थर बने रहे!

10.बड़ी तब्दीलियाँ लायें हैं अपने आप में लेकिन;
तुम्हे बस याद करने की, वो आदत अभी बाकी है!

11.खींच लेती है मुझे उसकी मोहब्बत;
वरना मै बहुत बार मिला हूँ आखरी बार उससे!

12.जब तक न लगे बेवफाई की ठोकर;
हर किसी को अपनी पसंद पे नाज़ होता है!

13.उसने देखा ही नहीं अपनी हथेली को कभी;
उसमे हलकी सी लकीर मेरी भी थी!

14.दिल के छालों को कोई शायरी कहे तो परवाह नहीं;
तकलीफ तो तब होती है जब कोई वाह-वाह करता है!

15.ये वफ़ा तो उस वक्त की बात है ऐ फ़राज़;
जब मकान कच्चे और लोग सच्चे हुआ करते थे!

16.छोड़ ये बात कि मिले ये ज़ख़्म कहाँ से मुझ को;
`ज़िन्दगी बस तू इतना बता!` कितना सफर बाकि है!

Comments

Popular posts from this blog

राजस्थान की राजनीति पर मेरा मत

जाने माने अभिनेता जितेंद्र पर कथित बहिन ने ही लगाया ( बलात्कार) रेप का आरोप