क्रांति का दूसरा नाम शहीद भगत सिंह............जब बड़े भाई की मृत्यु के बाद उन पर शादी करने का दबाव डाला गया तो वह
भारत जब भी अपने आजाद होने पर गर्व महसूस करता है तो उसका सर उन महापुरुषों के लिए हमेशा झुकता है जिन्होंने देश प्रेम की राह में अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया. देश के स्वतंत्रता संग्राम में हजारों ऐसे नौजवान भी थे जिन्होंने ताकत के बल पर आजादी दिलाने की ठानी और क्रांतिकारी कहलाए. भारत में जब भी क्रांतिकारियों का नाम लिया जाता है तो सबसे पहला नाम शहीद भगत सिंह का आता है. शहीद भगत सिंह ने ही देश के नौजवानों में ऊर्जा का ऐसा गुबार भरा कि विदेशी हुकूमत को इनसे डर लगने लगा. हाथ जोड़कर निवेदन करने की जगह लोहे से लोहा लेने की आग के साथ आजादी की लड़ाई में कूदने वाले भगत सिंह की दिलेरी की कहानियां आज भी हमारे अंदर देशभक्ति की आग जलाती हैं. माना जाता है अगर उस समय देश के बड़े नेताओं ने भी भगतसिंह और उनके क्रांतिकारी साथियों का सहयोग किया होता तो देश वक्त से पहले आजाद हो जाता और तब शायद हम और अधिक गर्व महसूस करते. लेकिन देश के एक नौजवान क्रांतिकारी को अंग्रेजों ने फांसी की सजा दे दी. लेकिन मरने के बाद भी भगत सिंह मरे नहीं. आज के नेताओं में जहां हम हमेशा छल और कपट की भावना देखते हैं जो मुंबई हमलों